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Bishnoi Samaj : बिश्नोई समाज | Bishnoi Samaj ki History

  Bishnoi Samaj : बिश्नोई समाज

Bishnoi Samaj : बिश्नोई समाज | Bishnoi Samaj ki History


आइए जाने बिश्नोई समाज के बारे में

बिश्नोई समाज: बिश्नोई उत्तर पश्चिमी राजस्थान में बसा एक ऐसा समुदाय है जो प्रकृति व वन्यजीवों के संरक्षण में सदियों से सेवारत है। वर्तमान बिश्नोई समाज के लोग मूलतः राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में निवास करते हैं। बिश्नोई समाज की स्थापना संवत 1542 कार्तिक बदी अष्टमी को समराथल धोरा पर गुरु जांभोजी ने की। गुरु जाम्भोजी ने बिश्नोई समाज में दीक्षित होने वाले लोगों को 29 नियम बताए जिनका अनुसरण प्रत्येक बिश्नोई के लिए अनिवार्य है। 29 नियम में से 8 नियम पर्यावरण संरक्षण से संबंधित है।

गुरु जाम्भोजी के द्वारा बताइए कि इन नियमों पर चलते हुए बिश्नोईयों ने समय-समय पर अपनी देह को अर्पण करके भी वन व वन्य जीवों को बचाया है। इसीलिए विश्व भर में बिश्नोई समाज प्रकृति का सजग प्रहरी समाज के नाम से जाना जाता है। जिस ज्वलंत उदाहरण खेजड़ली गांव में वृक्षों के बचाने के लिए 363 बिश्नोई स्त्री और पुरुषों ने पूर्णाहुति दी जो खेजड़ली बलिदान के नाम से जाना जाता है। 


बिश्नोई समाज के लोग समाज की स्थापना से लेकर अब तक गुरु जाम्भोजी के प्रति अपनी सजल श्रद्धा रखते हैं। गुरु जांभोजी के नियमों  का अनुसरण करते हुए बिश्नोई जन आज भी पर्यावरण का संरक्षण उतनी ही शिद्दत से करते हैं जितने कि  समाज की स्थापना के समय!

बिश्नोई समाज : ब्लॉग का उद्देश्य

बिश्नोई समाज नाम से यह ब्लॉग बनाने का हमारा उद्देश्य विश्वभर के लोगों को इस पर्यावरण हितैषी समुदाय के बारे में जानकारी प्रदान कर विश्व में पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजगता लाना है। साथ ही बिश्नोई समाज की रीति-संस्कृति और गौरवमयी इतिहास को एक पटल पर उपलब्ध करवाना है जिससे बिश्नोई समाज के बारे में सद्य व प्रमाणिक जानकारी खोजकर्ता को अंतरजाल पर मिल सके।


FAQ: बिश्नोई समाज के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न?


 Q. बिश्नोई समाज की स्थापना किसने की?

बिश्नोई समाज की स्थापना संवत् 1542 कार्तिक वदी अष्टमी को गुरु जाम्भोजी ने समराथल धोरा पर विराजमान होकर उपस्थित जनसमूह को पवित्र पाहळ देकर की।


Q. गुरु जांभोजी ने प्रथम बिश्नोई किसे बनाया?

गुरु जाम्भोजी पुल्होजी पंवार को पाहल देकर सर्वप्रथम बिश्नोई बनाया।


Q. बिश्नोई समाज के लोग कितने नियमों का पालन करते हैं?

बिश्नोई समाज के लोग 29 नियम का पालन करते हैं।

 

बिश्नोई समाज के 29 नियम के बारे में विस्तृत जाने।

Q. बिश्नोई समाज के लोगों द्वारा वन वन्य जीव की रक्षा किस प्रकार की जाती है?

बिश्नोई समुदाय के लोगों को गुरु जाम्भोजी ने 29 नियम बताए जिनमें से एक नियम है "जीव दया पालनी, रूंख लीलो नी घावे"!  अर्थात् जीवों पर दया का भाव रखना और हरे वृक्षों को नहीं काटना। यह नियम बिश्नोईयों की मनोवृत्ति से जुड़ा हुआ है। बिश्नोई वन व वन्य जीवों को अपने पुत्र की भांति प्रेम करते हैं। इनकी रक्षा बिश्नोई लोग अपने प्राणों को अर्पण कर भी करते हैं।


Q. बिश्नोई समाज के लोग कहाँ निवास करते हैं?

बिश्नोई समाज के लोग मूलतः राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश आदि राज्यों में निवास करते हैं।


Q. बिश्नोई समाज के अष्ठ धाम कौन-कौन से है?

बिश्नोई समाज के अष्ठ धाम निम्नलिखित है:

पीपासर, समराथल, रोटू, जाम्भोलाव, लोदीपुर, लालासर, मुकाम, जांगळू है। 

बिश्नोई समाज के मंदिरों के बारे में जाने

Q.  दोनों विश्व युद्ध में भाग लेने वाले बिश्नोई का नाम?

महान योद्धा जोरा बिश्नोई ने दोनों विश्व युद्ध में भाग लिया था।


Q. गोडावण को राजस्थान का राज्य पक्षी घोषित करवाने में बिश्नोई समाज का क्या योगदान है?

वर्ष 1978 में अरब के शेख प्रिंस बदर जैसलमेर के रामगढ़ इलाके में भारत सरकार की इजाजत से  (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) का शिकार करने पहुंचे । इसकी सूचना जब बिश्नोई समुदाय को मिली तो उन्होंने शेख के तम्बुओं का घेराव कर दिया और शिकार का जबरदस्त विरोध किया। इस घटना को राष्ट्रीय मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया और कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठन बिश्नोई समाज के साथ जुड़े जिससे भारत सरकार ने प्रिंस बदर को वापस बुला लिया। फलस्वरूप राजस्थान सरकार ने गोडावण संरक्षण को लेकर इसे राज्य पक्षी घोषित कर दिया। 


Q. बिश्नोई समाज में अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है?

बिश्नोई समाज में मृत व्यक्ति को दफनाया जाता है। इसके लिए 7 फिट गहरा 2 या 3 फुट चौड़ा गड्ढा खोदा जाता है। देह को उत्तर दिशा की तरफ सर रखकर सुलाया जाता है। मृतक के शरीर पर कफन के अलावा कोई अन्य आभूषण नहीं रखा जाता है। फिर हाथों से मिट्टी मिट्टी डालकर घर/गड्ढे को भर दिया जाता है।


इसे भी पढ़ें ‌: बिश्नोई समाज में अंतिम संस्कार के बारेेमें विस्तृत जाने 



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